एक व्यक्ति ने एक पिछड़े गांव में चश्में बनाने की दुकान खोली। वह गांव में घर घर जाकर लोगों से जानने लगा कि कहीं किसी को देखने या पढने में कोई समस्या तो नहीं है.
जैसे ही कोई बताता कि उसे पढ़ने में परेशानी होती है, वो तुरंत उसको मुफ़्त में आंखे चैक करने का बोल कर अपनी दुकान पर आने का आमंत्रण दे देता.
पूरा गांव घूमने के बाद उसे समझ में आया कि गांव में अधिकतर लोगों को पढ़ने में दिक्कत हो रही है.
वो मन ही मन बहुत खुश हुआ कि इतने लोगों का चश्मा बनाकर वह अच्छे पैसे कमा लेगा.
अगले दिन दुकान पर एक अधेड़ उम्र की महिला आई. दुकान पर पहले ग्राहक को देखकर वो फूला नहीं समाया और पूरे जोश के साथ ताई की आंखों को टेस्ट करने लगा.
उसने अक्षर लिखे हुए बोर्ड की तरफ उंगली दिखाते हुए कहा:- ताई जी,आप सामने देख कर इसे पढिए.
ताई पहले तो काफी देर तक ध्यान से देखती रहीं फिर बोली:- ना बेटा मुझसे ना पढा जा रहा.
उसने दूसरा लेंस लगाकर फिर से वही प्रश्न दोहराया.
ताई ने इस बार भी वही जवाब दिया.
वो एक के बाद दूसरा लेंस लगाता रहा लेकिन ताई का जवाब वही रहा.
धीरे धीरे उसने दुकान में उपलब्ध सभी लेंस ताई पर ट्राइ कर लिए लेकिन ताई टस से मस नहीं हुई.
अब उसका दिमाग चकराने लगा. उसने ताई को कल फिर से आने को कहकर वापस भेज दिया.
ताई ने जाते समय पूछा:-
कल पक्का मैं पढ़ पाऊंगी ना?
उसने भी कहा:-
हां ताई जी, क्यों नहीं?
ताई के जाने के बाद वो सिर पकड़ कर बैठ गया. ऐसा कौन सा नंबर है ताई कि आँखो का जो मेरे पास नहीं है। शहर जाकर वो कुछ और बेहतर क्वालिटी के लेंस खरीद कर लाया.
अगले दिन ताई फिर दुकान पर आ पहुंची.
उसने ताई को बैठाया और फिर से एक एक करके लैंस बदल बदल कर फिर वही सवाल पूछने लगा कि पढा जा रहा है, या नहीं?
आज भी ताई हर बार ना में सिर हिला देती.
अंत में वो हाथ जोड़ कर ताई से बोला:- मुझे माफ करो ताई जी, मेरी दुकान में ऐसा कोई चश्मा नहीं जिससे आप साफ साफ पढ़ सकें
उसे हताश परेशान देखकर ताई बोली:-
कोई ना बेटा,दिल छोटा मत करै.
इतने साल सकूल में मास्टर मुझे पढना ना सिखा पाया?
तेरा यो चश्मा एक दिन मैं के सिखा देगा.?
ताई की बात सुनकर उसने अपना माथा पीट लिया.