गजल
खूबसूरत शहर, ये अलग बात है
रोज बरसे कहर, ये अलग बात है
दूध, घी की नदी मुल्क में बह रही
पी रहे है जहर ये अलग बात है
कोई तूफां समंदर में आता नहीं
कांपती है लहर ये अलग बात है
जिस्म पर जख्म के नहीं मिलते निशां
दर्द आठो पहर ये अलग बात है
जिंदगी तुझको ढूढेंगे हम उम्रभर
थक के जाये ठहर ये अलग बात है

 
																			 
																			 
																			 
																											 
																											 
																											 
																											 
																											 
																											 
																											 
																											