Comedy Story
जब मैं कॉलेज के हॉस्टल में था तो मुझे और मेरे दोस्तों को एक बहुत बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता था – और वो था अच्छा खाना. आप सब को तो पता ही होगा कि हॉस्टल का खाना गले के नीचे उतारना कितना मुश्किल होता है . दाल पानी की तरह होती है और सब्ज़ी बेस्वादी.
हॉस्टल में हम तीन दोस्त एक ही कमरे में रहते थे. ज़्यादातर दिन हम तीनो दोस्त बाहर ढाबे या रेस्टोरेंट में खाना खाते थे लेकिन जब घर के पैसे कम पड़ जाते थे तो मजबूरन हॉस्टल का खाना पड़ता था. एक दिन हम तीनो दोस्त रात को हॉस्टल की मेस में खाना खाने जा रहे थे कि तभी 2 लड़के सूट बूट पहने बाहर जा रहे थे. वैसे तो वो दोनों लड़के सीनियर थे लेकिन उनमे से एक लड़का मुझे जानता था इसलिए मैंने उससे पुछा “भाई इस वक़्त कहाँ जा रहे हो, खाने का टाइम हो गया है…”
उसने बताया कि वे बाहर खाने जा रहे है. वैसे तो हम भी बाहर खाना चाहते थे लेकिन महीने की अंतिम तारीखे थी और पैसे बहुत कम थे इसलिए मेस में ही खाना पड़ रहा था . उसी दिन रात को जब हम अपने हॉस्टल के कमरे के बाहर खड़े हुए थे तो वो दोनों सीनियर लड़के बाहर से वापिस आ रहे थे. वो हमारे पास खड़े हो कर बाते करने लगे और उसमे से एक ने हमें बताया कि आज वो एक शादी का खाना खा कर आ रहे है. मैं पुछा “भाई किसकी शादी थी?”
उसने कहा “पता नहीं…”
मैंने सर खुजलाते हुए पूछा “पता नहीं… मतलब??”
उसने बताया “भाई देख.. मेस का खाना खा खा कर हम तंग आ चुके थे इसलिए हमने इसका एक सरल रास्ता ढूँढा। आजकल शहर में शादियों का सीजन चल रहा है, रोज कोई ना कोई शादी होती है. बस हम भी सूट बूट डाल कर शादी में चले जाते है. अगर कोई पूछे तो कभी बता देते है कि लड़के वालो की तरफ से है तो कभी लड़की वालो की तरफ से, कोई शक नहीं करता भाई”
इतना बोलकर वो दोनों लड़के वहां से चले गए लेकिन उस रात हम तीनो दोस्त उनकी बात के बारे में सोचते रहे. मन ही मन हम खुश हो रहे थे क्यूंकि अब हम मेस के खाने के इलावा रोज़ स्वादिष्ट खाना खा सकते थे.
बस फिर क्या था, अगले ही दिन हम तीनो दोस्तों ने अच्छे से कपडे डाले
और निकल पड़े ये देखने कि कहाँ पर शादी है. कुछ दूरी पर जाते ही एक पैलेस दिखा जहाँ गाना बजाना हो रहा था. बिना कुछ सोचे समझे हम तीनो घुस गए वहा और जाते ही स्नैक्स पर टूट पड़े. नूडल्स से लेकर फ्रूट चाट, डोसा से लेकर जूस, हमने दिल भर खाया पिया। बड़े खुश हो रहे थे हम ये सोचकर कि बिना कोई पैसा खर्चे इतना अच्छा खाने को मिल रहा है.
जब गर्दन तक पेट भर गया तो हम वहां से जा रहे थे. गेट पर एक 32 या 35 वर्षीया लड़का खड़ा हुआ था जो सभी मेहमानो को पार्टी में आने के लिए धन्यवाद बोल रहा था . हम दोस्तों में से एक दोस्त जो कि मस्ती के मूड में था, वह उस लड़के के पास गया और कहा “भाई साहब, खाना बहुत स्वादिष्ट था..” उस लड़के ने एक टूक हम तीनो को देखा और कहा “आपको शायद अनुज ने बुलाया था..है ना?”
मेरे दोस्त ने कहा “नहीं…हम लड़की वालो की तरफ से है”
इतना सुनते ही वो लड़का हंसने लगा और पुछा “आप किस कॉलेज से हो?”
हमने बताया कि हम स्वामी दयानन्द कॉलेज से है.
वो लड़का फिर हंसा और कहा “ये पार्टी किसी शादी की नहीं बल्कि मेरे पिता की रिटायरमेंट पार्टी है”
अब हमारी पोल खुल चुकी थी और हम शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे लेकिन उस लड़के ने हमें कहा “अरे..कोई बात नहीं. मैं भी तुम्हारे दौर से गुज़रा हूँ और हॉस्टल के खाने से बचने के लिए मैं भी यूँही जाया करता था. एन्जॉय करो यारो..”