sad shyri by Sachin · February 16, 2020 मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था,एक मैं ही अकेला था, बाकि सारा काफिला भी उसका था,एक साथ चलने की सोच भी उसकी थी,और बाद में रास्ता बदलने का फैसला भी उसी का था।