Top Shayari

क्यों ना सजा मिलती हमे मोहब्बत में आखिर 

हमने भी बहुत दिल तोड़े थे उस शख्स की खातिर

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दूर बैठे रहोगे, पास न आओगे कभी !
ऐसे रूठोगे तो जान ले जाओगे कभी !
शोले बन जायेगें सभी फूल मेरे आंचल के !
तुम जो मोहब्बत की घटा बनके न छाओगे कभी !!

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मुझे तेरे काफ़िले मेँ चलने का कोई शौक नहीँ !
मगर तेरे साथ कोई और चले मुझे अच्छा नहीँ लगता !!

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ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात “आख़री” होगी !
ना ज़ाने कौनसी रात🌌 “आख़री” होगी !
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से !
ना जाने कौनसी “मुलाक़ात” आख़री होगी !!

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कौन किस से चाहकर दूर होता है !
हर कोई अपने हालातों से मजबूर होता है !
हम तो बस इतना जानते हैं !
हर रिश्ता “मोती” औरहर दोस्त “कोहिनूर” होता है !!

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पानी से तस्वीर कहाँ बनती है !
ख्वाबों से तकदीरकहाँ बनती है !
किसी भी रिश्ते को सच्चे दिल से निभाओ !
ये जिंदगी फिर वापस कहाँ मिलती है !!

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जीना चाहा तो जिंदगी से दूर थे हम !
मरना चाहा तो जीने को मजबूर थे हम !
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा!
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम !!

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