ग़ज़ल

कहीं वो ग़ज़ल तो नहीं
चंचल हिरनी झरने सी उन्मुक्त हंसी
हुस्न बेमिसाल पूरी कायनात सी
कहीं वो ग़ज़ल तो नहीं।
कंचन काया तरासी सुवर्ण सी
घनी जुल्फें घनघोर घटा सी
कहीं वो ग़ज़ल तो नहीं।
दिल में चुभी नज़र इक तीर सी
हर लफ्ज़ अंदाज ए बयां सी
कहीं वो ग़ज़ल तो नहीं।
होंठ ऐसे पंखुड़ी कमल की
अदा ऐसी नज़ाकत सी
कहीं वो ग़ज़ल तो नहीं।
दिल में बसी एक मूरत सी
हर लफ्ज़ से बनी
कहीं वो ग़ज़ल तो नहीं।

शोभा गोस्वामी

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