Diwali Special Jokes
आँखो से आँसूओं की जुदाई कर दो,
दिल से ग़मों की विदाई कर दो,
अगर दिल ना लगे कहीं तो,
आ जाओ मेरे घर
.
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और
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मेरे घर की सफाई कर दो…
और याद रहे
यह Offer दिवाली तक ही है…
में आशा करता हूँ कि,
इस दिवाली के पावन मौके पे,
दिपावली के अलौकिक प्रकाश से,
तुम्हारे दिमाग में कुछ उजाला हो…
और
तूम इंसानो जैसा बर्ताव शुरू कर दो…
पत्नी दिवाली के लिए घर की सफाई कर रही थी
पति जैसे ही सोके उठा
पत्नी – कुम्भकर्ण की तरह सोते रहते हो
यहाँ आओ जल्दी से मुर्गा बनो
पति – ये क्या बदतमीजी है
कोई अपने पति से ऐसे बात करता है क्या
पत्नी – सॉरी जानू बदतमीजी नहीं कर रही
मुझे छत के जाले हटाने हैं
मेरा हाथ ऊपर नहीं पहुँच रहा
एक लड़की दिवाली की शॉपिंग करने गयी
लड़की – भैया अच्छा सा हार दिखाना
दुकानदार – ये लीजिये एकदम नया ब्रांड है
लड़की – नहीं कोई अंगूठी दिखाओ
दुकानदार – मैडम आप एक हफ्ते से रोज
ऐसे ही सब कुछ देख कर चली जाती हो
कुछ लेती क्यों नहीं ?
लड़की – भैया मैं तो रोज कुछ ना कुछ लेके जाती हूँ
आप ध्यान ही नहीं देते
कुछ बच्चे सड़क पर अपने पटाखे जला रहे थे..
अभी एक पटाखे में चिंगारी लगाई ही थी की सामने से एक आंटी आती दिखी . .
सब चिल्लाने लगे …
आंटी पटाखा है …
आंटी पटाखा है …
आंटी पटाखा है …
आंटी मुस्कराई और बोली :
नहीं रे पगलो, अब पहले जैसी बात कहां।।।
बुरा ना मानो होली है कह कर,
मेरे पडोसी ने मुझ पर रंग फेंका था ।
कल मै भी बुरा ना मानो दिवाली है कह के,
उस पर बम फेक दूंगा।
फिर सारा मोहल्ला रात भर मुझे ढूंढेगा!
एक फ्लैट में घंटी बजती है और महिला जो घर में अकेली है दरवाज़ा खोलती है …
भिक्षुक:
“माई, भिक्षा दे।”
महिला:
“ले लो, महाराज ..”
भिक्षुक:
“माई … ज़रा यह द्वार पार करके बाहर तो आना।”
वह द्वार पार करके बाहर आती है।
भिक्षुक (उसे पकड़ते हुए ):
“हा .. हा … हा … मैं भिक्षुक नहीं, रावण हूं !”
महिला:
“हा .. हा .. हा … मैं भी सीता नहीं, कामवाली बाई हूँ।”
रावण :
“हा..हा..हा.. सीता का अपहरण करके आज तक पछता रहा हूं,
तुम्हें ले जाऊंगा तो मंदोदरी खुश हो जायेगी। मुझे भी कामवाली बाई की ही ज़रूरत है …”
महिला :
“हा, हा, हा … सीता को ढूंढने सिर्फ राम आऐ थे …
मुझे ले जाओगे तो सारी बिल्डिंग ढूंढते पहुंच जाएगी।”
लड़का:- मां दिवाली आने वाली है, इस बार पटाखे इस दूकान से लुंगा! . .
मां:- ये पटाखों की दुकान नहीं लड़कियों का हॉस्टल है . .
लड़का:- मुझे क्या पता,, एक दिन पापा कह रहे थे कि यहां एक से एक धांसू पटाखे हैं!!
संता बंता आपस में बातचीत कर रहे थे.
संता ने पूछा- पटाखा और फुलझड़ी का मतलब बता सकते हो.
बंता बोला- हां बिलकुल! मेरी वाइफ तो पटाखा है और.
उसकी बात पूरी हुई नहीं थी कि संता बोल पड़ा- मेरी फुलझड़ी.
बंता: सुना है कि धनतेरस पे धातू की चीज खरीदते हैं, तुमने क्या खरीदा?
संता: बियर के 4 कैन।
धनतेरस पे हमने भी एक किलो सोना
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चांदी
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…
च्यवनप्राश खरीदा।
क्यों की सर्दी आ गई है।
और खाया पिया ही साथ जाता है….
बाक़ी सब यही रह जाता है….