न रेनकोट ना छाता…
ये बारिश का मौसम बहुत तड़पाता है, वो बस मुझे ही दिल से चाहता है, लेकिन वो मिलने आए भी तो कैसे…? उसके पास न रेनकोट है और ना छाता है।
ये बारिश का मौसम बहुत तड़पाता है, वो बस मुझे ही दिल से चाहता है, लेकिन वो मिलने आए भी तो कैसे…? उसके पास न रेनकोट है और ना छाता है।
उम्र की राह में जज्बात बदल जाते है। वक़्त की आंधी में हालात बदल जाते है सोचता हूं काम कर-कर के रिकॉर्ड तोड़ दूं। कमबख्त सैलेरी देख के ख्यालात बदल जाते हैं
कौन ‘कमबख्त’ कहता है, लड़के सोचते कम हैं . . . . . . . . लड़की एक बार मुस्करा कर तो देखे शेरवानी के रंग से लेकर बच्चों तक के नाम सोच लेते...
मोहब्बत के खर्चो की बड़ी लंबी कहानी है, कभी फिल्म दिखानी है तो कभी शोपिंग करानी है, मास्टर रोज कहता है कहाँ है फीस के पैसे? उसे समझाऊं मैं कैसे की मुझे छोरी पटानी...
क्या हुआ जो उसने रचा ली मेहँदी, हम भी अब सेहरा सजायेंगे, तो क्या हुआ अगर वो हमारे नसीब में नहीं, अब हम उसकी छोटी बहन पटायेंगे!
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके हौसलों में जान होती है… और और बंद भट्ठी में भी दारू उन्हीं को मिलती है, जिनकी भट्ठी में पहचान होती है!
जुल्फों में फूलों को सजा के आयी, चेहरे से दुपट्टा उठा के आयी, किसी ने पूछा आज बड़ी खुबसूरत लग रही है, हमने कहा शायद आज नहा के आयी!
हसीना से मिलें नजरें अट्रैक्शन हो भी सकता है, चढ़े फीवर मोहब्बत का तो एक्शन हो भी सकता है, हसीनों को मुसीबत तुम समझ कर दूर ही रहना, ये अंग्रेजी दवाएं हैं रिएक्शन हो...
[stextbox id=’warning’] हनुमान जी: भोले नाथ, अब मैं धरती पर नहीं रह सकता शिव जी: क्यों? हनुमान जी: पहले लोग लेट कर, माथा टेकते थे.. फिर थोड़ा सा झुक कर टेकने लगे.. मैं फिर...