Sad Shayri by Sachin · April 16, 2020 कुछ मैं भी थक गया उसे ढूँढ़ते हुए,कुछ ज़िन्दगी के पास भी मोहलत नहीं रही,उसकी हर एक अदा से झलकने लगा खलूस,जब मुझको ऐतबार की आदत नहीं रही!